न्यूरालिंक टेक्नोलॉजी क्या है? एलन मस्क का उद्देश्य मानव मस्तिष्क में चिप लगाने के पीछे क्या है?||What is Neuralink Technology? What is Elon Musk's purpose behind implanting a chip in the human brain?

 न्यूरालिंक टेक्नोलॉजी क्या है? एलन मस्क का उद्देश्य मानव मस्तिष्क में चिप लगाने के पीछे क्या है?



एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने हाल ही में इंसान के दिमाग में चिप लगाकर चर्चा में आई है। दिमाग में चिप लगवाने वाले रोगी के बारे में अपडेट देते हुए एलन मस्क ने बताया कि वह अब पूरी तरह से ठीक हैं और सिर्फ़ सोचकर ही कंप्यूटर माउस को कंट्रोल कर पा रहे हैं। यहां हम आपको न्यूरालिंक टेक्नोलॉजी के बारे में विवरण प्रदान कर रहे हैं। इंसानी दिमाग में कंप्यूटर चिप लगाना एक साइंस फिक्शन फिल्म से भी कहीं अधिक है, लेकिन एलन मस्क की कंपनी ने इस कारनामे को हकीकत में बदल दिया है। जनवरी 2024 में, पहली बार इंसानी दिमाग में ब्रेन चिप लगाकर उनकी कंपनी ने बड़ा कार्य किया। अब दिमाग में चिप लगवाने वाले रोगी का अपडेट देते हुए उन्होंने बताया कि वह अब पूरी तरह से ठीक हैं और सिर्फ़ सोचकर ही कंप्यूटर के माउस को कंट्रोल कर पा रहे हैं।


न्यूरालिंक ने क्या बनाया है?

2016 में, एलन मस्क ने कुछ इंजीनियर्स के साथ मिलकर न्यूरालिंक कंपनी की स्थापना की थी। उनकी कंपनी ब्रेन चिप इंटरफेस (BCI) तैयार कर रही है, जिसे इंसान की खोपड़ी में इम्प्लांट किया जाएगा। कंपनी का दावा है कि इस चिप की मदद से लकवाग्रस्त या विकलांग मरीज फिर से चल और कम्युनिकेट कर पाएंगे। न्यूरालिंक की पहली चिप का नाम N1 इम्प्लांट है।

चिप कैसे काम करती है?

न्यूरालिंक जो चिप को मानव मस्तिष्क में लगा रही है, उसका साइज किसी छोटी घड़ी के डायल की तरह है। इसमें चिप, बैटरी, और थ्रेड्स शामिल हैं। इस डिवाइस के थ्रेड्स में इलेक्ट्रोड्स हैं, जो दिमाग के अंदर चलने वाली न्यूरल एक्टिविटी को ट्रैक और ट्रांसमिट करते हैं।

इस चिप में 64 थ्रेड्स दिए गए हैं, जिसमें 1024 इलेक्ट्रोड्स हैं। ये थ्रेड्स इंसान के बाल से भी पतले हैं और इन्हें एक विशेष निडल से दिमाग में इम्प्लांट किया जाता है।

न्यूरालिंक से ही कंट्रोल हों सकेगे सभी स्मार्ट डिवाइस

सोचने से ही स्मार्ट डिवाइस को नियंत्रित किया जा सकता है। इस डिवाइस का उपयोग थ्रेड्स के माध्यम से किया जाता है, जो दिमाग में होने वाली न्यूरल एक्टिविटी को रिकॉर्ड और प्रोसेस करता है। इसके अलावा, यह डेटा को N1 यूज़र एप्लिकेशन तक पहुँचाता है।

न्यूरालिंक ने N1 यूज़र एप्लिकेशन डेवलप किया है, जो N1 इम्प्लांट के माध्यम से दिमाग में होने वाली न्यूरल एक्टिविटी को डिकोड करता है। इसके माध्यम से, दिमाग में चिप लगवाने वाला व्यक्ति सिर्फ अपनी सोच से ही कंप्यूटर को नियंत्रित कर सकता है।

कंपनी का दावा है कि यह सिस्टम समय के साथ-साथ इंसान के दिमाग में होने वाली न्यूरल एक्टिविटी और कल्पना को बेहतर से समझने में सहायक होगा और इसी तरह से आगे कार्य करेगा।

न्यूरालिंक वर्तमान में ऐसे लोगों पर परीक्षण कर रहा है जो लकवा से प्रभावित हैं और वे कंप्यूटर या स्मार्टफोन को नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत हैं। इसके माध्यम से भविष्य में व्हीलचेयर को नियंत्रित किया जा सकता है।

...अब आगे क्या?

न्यूरालिंक का ट्रायल लकवाग्रस्त मरीजों पर चल रहा है। ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) को लेकर मस्क का कहना है कि वे इससे मानवता की मदद करना चाहते हैं। हालांकि, चिंता इस बात की है कि यह टेक्नोलॉजी इंसानी दिमाग को सुपरचार्ज करने में सक्षम है, जो सामाजिक असमानता को बढ़ा सकती है।

एलन मस्क ने न्यूरालिंक की चिप लगवाने वाले पेशेंट का अपडेट देते हुए बताया कि उनकी कंपनी का अगला लक्ष्य कॉम्प्लेक्स इंटरैक्शन को सक्षम करना है। एलन मस्क सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जिक्र कर चुके हैं कि इस चिप के जरिए मात्र सोचने से ही फोन, कम्प्यूटर या किसी भी तरह के स्मार्ट डिवाइस को कंट्रोल किया जा सकता है।

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